Friday, April 5, 2019

पहले मैच में भारतीय टीम ने मलेशिया को 3-0 से हराया, वंदना ने दो गोल किए

खेल डेस्क. भारतीय महिला हॉकी टीम ने पांच मैचों की सीरीज में शानदार आगाज किया है। टीम ने पहले मैच में मलेशिया को 3-0 से हराया। वंदना ने दो जबकि लालरेमसियामी ने एक गोल किया। सीरीज का दूसरा मैच शनिवार को खेला जाएगा। मैच में मलेशिया ने अच्छी शुरुआत की। उसे तीसरे ही मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन मेजबान टीम गोल नहीं कर सकी। पहले क्वार्टर में कोई गोल नहीं हुआ।

लालरेमसियामी ने टीम के लिए दूसरा गोल किया
वंदना ने 17वें मिनट में गोल कर भारतीय टीम को 1-0 की बढ़त दिलाई। 38वें मिनट में लालरेमसियामी ने गोल कर स्कोर 2-0 कर दिया। इसके बाद मैच में भारतीय टीम हावी हो गई। मैच खत्म होने के कुछ सेकंड पहले वंदना ने अपना दूसरा गोल कर टीम को 3-0 की अजेय बढ़त दिला दी।

मैच में मलेशिया को तीन पेनल्टी कॉर्नर मिले, लेकिन टीम एक भी गोल नहीं कर सकी। ओलिंपिक क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट से पहले भारतीय टीम के लिए यह अहम सीरीज है। कई युवा खिलाड़ियों को टीम में जगह मिली है।

ट्राउटमैन वर्ल्ड वार में जर्मनी के लिए लड़े
बर्ट ट्राउटमैन जर्मनी की सेना में थे। 1944 में दूसरे वर्ल्ड वार के समय अंग्रेजों ने इन्हें पकड़ लिया और विगान के बने कैंप में रख दिया। इसके बाद वे यहीं रहने लगे। वे एक अच्छे गोलकीपर थे। शुरुआत में इन्होंने ओल्ड लंकाशायर के लिए खेलना शुरू किया। 1949 में ये मैनचेस्टर सिटी आ गए और क्लब के लिए 545 मैच खेले। ट्राउटमैन के इन्हीं संघर्ष को फिल्म में दिखाया गया है।

एफए कप फाइनल में खेलने वाले पहले जर्मन खिलाड़ी
1923 में जर्मनी के ब्रेमेन शहर में जन्में ट्राउटमैन नाजी सेना की इनफेंट्री डिविजन में थे। उन्हें पांच अवॉर्ड भी मिले। सिटी की टीम 1956 में एफए कप के फाइनल में पहुंची। वे टूर्नामेंट का फाइनल खेलने वाले जर्मनी के पहले खिलाड़ी बने। वे 1949 से लेकर 1964 तक सिटी के लिए खेले। 15 अप्रैल 1964 को खेले उनके अंतिम मुकाबले को देखने के लिए 60 हजार फैंस मैदान में पहुंचे।

ट्राउटमैन 1970 में बर्मा नेशनल टीम के कोच बनाए गए
सिटी से रिटायर होने के बाद 41 की उम्र में क्लब वेलिंगटन टाउन ने 50 पाउंड प्रति मैच के हिसाब से ट्राउटमैन से अनुबंध किया। हालांकि वे केवल दो ही मैच खेल सके। वे 1970 में बर्मा नेशनल टीम के कोच बनाए गए। टीम को ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कराया। इसके बाद उन्होंने कई क्लब और पांच से अधिक देशों में कोचिंग दी। 2004 में इन्हें ब्रिटेन का प्रतिष्ठित अवॉर्ड ‘ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर’ दिया गया।

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