Monday, February 25, 2019

乐清检察院依法对“失联男孩”事件被告人提起公诉

  中新网2月25日电 据乐清市人民检察院官方微信号消息,2月25日,乐清市人民检察院依法以编造、故意传播虚假信息罪,对“失联男孩”事件被告人陈某提起公诉。

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  乐清“失联”男孩背后:母亲因感情纠纷制造虚假警情

  2018年,乐清“失联”男孩一事引发社会高度关注。2018年12月5日,中新网记者获悉,经温州、乐清两级公安机关查明,男孩母亲陈某(33岁、城东街道云岭村人)因与在外经商的丈夫存在感情纠纷,为测试其丈夫对其及其儿子是否关心、重视,蓄意策划制造了该起虚假警情。2018年12月5日,陈某因涉嫌编造故意传播虚假信息罪已被乐清市公安局依法采取刑事强制措施。

  根据调查,2018年11月30日晚18时许,陈某与已放学回家途中的儿子黄某取得联系后,在虹桥镇沙河路附近碰面,陈某嘱咐黄某按照她的安排待在其事先准备好的四轮电瓶车内,不要下车回家,并把车钥匙和事先准备好的食物交给黄某。

  在安排好黄某后,陈某于当晚19时13分,到虹桥派出所虚假报警求助。警方接报后,调集了大量警力,开展查找工作。陈某还通过微信朋友圈等网络媒体发布求助信息,社会各界及广大群众也积极参与网络转发及查找。期间,陈某将藏匿黄某的四轮电瓶车转移停放地点,最后将其儿子黄某转移至城东街道云岭村,直至黄某被警方找回。

  鉴于陈某蓄意藏匿其儿子黄某,并到公安机关虚假报警,且在各方查找期间,继续假装配合搜寻,其行为已严重透支了社会诚信和良知,消耗了大量的公共资源,严重扰乱了社会秩序,已涉嫌编造故意传播虚假信息罪,公安机关将依法追究其刑事责任。

  乐清市人民检察院于2018年12月12日受理乐清市公安局提请批准逮捕犯罪嫌疑人陈某的案件材料后,经依法审查认为,陈某的行为已涉嫌编造、故意传播虚假信息罪,符合逮捕条件,依据《中华人民共和国刑事诉讼法》第八十一条第一款之规定,于12月14日依法对陈某作出批准逮捕的决定,交由公安机关执行。

  2018年12月14日,乐清市人民检察院依法以涉嫌编造、故意传播虚假信息罪,对“失联男孩”母亲犯罪嫌疑人陈某批准逮捕。

Wednesday, February 13, 2019

अब PM नरेंद्र मोदी पर बनेगी वेब सीरीज, ये एक्टर करेंगे लीड रोल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन की कहानी कुछ ऐसी है कि इस पर अब तक कई किताबें लिखी जा चुकी हैं. उन पर कई डॉक्यूमेंट्री फिल्में, शॉर्ट फिल्में बनी हैं. उनकी जिंदगी पर एक फीचर फिल्म भी बन रही है जिसमें विवेक ओबेरॉय, नरेंद्र मोदी का किरदार निभाते नजर आएंगे. मिड-डे की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब जल्द ही मोदी की जिंदगी पर एक वेब सीरीज भी बनने जा रही है. 10 एपिसोड की इस वेब सीरीज का निर्देशन उमेश शुक्ला करेंगे.

सेंसर बोर्ड के सदस्य मिहिर भूटा वेब सीरीज की कहानी लिखने और निर्देशन की अहम जिम्मेदारी उठा रहे हैं. वेब सीरीज की कहानी नरेंद्र मोदी के बचपन और उनके युवा जीवन पर होगी. वेब सीरीज का अंत मोदी के प्रधानमंत्री बनने और उनके द्वारा भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले दृश्यों के साथ खत्म होगी. वेब सीरीज की कहानी रूरल गुजरात (सिद्धपुर और वाडानकर) में उन लोकेशन्स पर जारी है जहां पीएम मोदी पले बढ़े हैं.

जहां तक बात है वेब सीरीज में पीएम मोदी का किरदार निभाने वाले कलाकार की, तो बता दें कि रंग रसिया, गुनाहों का देवता और सिया के राम जैसे धारावाहिकों में अहम किरदार निभा चुके एक्टर आशीष शर्मा युवा मोदी का किरदार निभाते नजर आएंगे. इसके अलावा एक्टर महेश ठाकुर भी उनके जीवन के एक फेज का रोल प्ले करेंगे. वेब सीरीज का म्यूजिक सलीम सुलेमान दे रहे हैं. सीरीज के निर्देशक उमेश शुक्ला ने कहा प्रोजेक्ट में कोई बड़ा कलाकार उनके साथ नहीं होगा.

उन्होंने कहा, "सीरीज की कहानी ही सबसे बड़ी स्टार है. यदि हमने किसी बड़े अभिनेता को कास्ट किया होता तो लोग कहानी से कनेक्ट नहीं कर पाते और उस कलाकार में ही खोए रह जाते. इसलिए हमने अच्छे कलाकारों को कास्ट करने पर जोर दिया." उमेश ने कहा, "मुझे उनकी पर्सनैलिटी में दिलचस्पी है. उनके पास शानदार सेंस ऑफ ह्यूमर है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. उनकी रुचि आध्यात्मिकता में है न कि धर्म में."

ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की बात करें तो 15वीं लोकसभा में कुल 37 प्रस्ताव आए जबकि 16वीं लोकसभा में 18 प्रस्ताव आए. 15वीं लोकसभा में सांसदों द्वारा उठाए गए प्रश्नों पर विभिन्न मंत्रालयों द्वारा 598 बयान जारी किए गए तो वहीं 16वीं लोकसभा में 659 बयान दिए गए. तारांकित प्रश्नों की बात करें तो 15वीं लोकसभा में इस तरह के 650 प्रश्नों का जवाब दिया गया. जबकि 16वीं लोकसभा में 1169 तारांकित प्रश्नों का जवाब दिया गया. इस लिहाज से 16वीं लोकसभा में तारांकित प्रश्नों के जवाब की संख्या में 79.84 फीसदी बढ़ोतरी हुई. अगर गैर-तारांकित प्रश्नों की बात करें तो 15वीं लोकसभा में इसकी संख्या 73,160 रही जबकि 16वीं लोकसभा में गैर-तारांकित प्रश्नों की संख्या 73,405 रही.

सांसदों द्वारा उठाए गए किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर आधे घंटे की चर्चा कराने के मामले में 15वीं लोकसभा आगे रही. जहां 15वीं लोकसभा में 7 आधे घंटे की बहस हुई जबकि 16वीं लोकसभा में 5 आधे घंटे की चर्चा हुई. प्राइवेट मेंबर बिल की बात करें तो 16वीं विधानसभा में इसकी संख्या तीन गुना बढ़ी. जहां 15वीं लोकसभा में 372 प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश किए गए तो वहीं 16वीं लोकसभा में 1117 प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश हुए. इसके अलावा विभिन्न समितियों की रिपोर्ट के मामले में 15वीं लोकसभा में 652 रिपोर्ट और 16वीं लोकसभा में 715 रिपोर्ट पेश किए गए.

Wednesday, February 6, 2019

विजय माल्या का प्रत्यर्पण हुआ, तो भी भारत आने में लग सकते हैं महीनों

क़रीब दो महीने पहले लंदन की एक निचली अदालत ने माल्या के प्रत्यर्पण को मंज़ूरी दी थी. निचली अदालत के फ़ैसले के बाद ब्रिटेन के गृह मंत्री को इस पर फ़ैसला लेना था.

ब्रिटेन के गृह मंत्री साजिद जाविद ने अब माल्या के प्रत्यर्पण को मंज़ूरी दे दी है.

ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया, "गृह मंत्री ने सभी मामलों पर सावधानी से ग़ौर करने के बाद तीन फ़रवरी को विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण के आदेश पर दस्तख़त किए."

प्रवक्ता ने आगे कहा, "विजय माल्या भारत में धोखाधड़ी की साज़िश करने, ग़लत बयानी करने और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में अभियुक्त हैं."

गृह मंत्री के फ़ैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए माल्या ने ट्वीट किया है.

माल्या ने लिखा है, ''निचली अदालत के 10 दिसंबर, 2018 के फ़ैसले के बाद ही मैंने इसे चुनौती देने की मंशा जता दी थी. लेकिन गृह मंत्री के फ़ैसले के पहले मैं अपील की कार्रवाई नहीं कर सकता था. अब मैं अपील की कार्रवाई करूंगा.''

हालांकि, माल्या को तुरंत ही भारत लाना मुमकिन नहीं होगा. बीबीसी संवाददाता गगन सबरवाल के मुताबिक़ विजय माल्या के पास इस आदेश को चुनौती देने के लिए 14 दिन का वक़्त है.

गगन के मुताबिक़ गृहमंत्री के आदेश के ख़िलाफ वो पहली अपील हाई कोर्ट में कर सकते हैं.

अगर हाई कोर्ट में उनकी अपील ख़ारिज हुई तो वो इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं.

इस पूरी प्रक्रिया में क़रीब दो साल का वक़्त लग सकता है.

ज़ाईवाला एंड कंपनी लीगल फ़र्म के संस्थापक सरोश ज़ाईवाला इसी बात को और तफ़्सील से बताते हुए कहते हैं, "विजय माल्या के पास 14 दिनों का समय है जिसके अंदर वो ब्रितानी गृहमंत्रालय के फ़ैसले को चुनौती दे सकते हैं. अगर उनकी अपील स्वीकार कर ली जाती है तो कोर्ट ऑफ़ अपील (जिसे भारत का हाईकोर्ट कहा जा सकता है) में सुनवाई होगी. ये सुनवाई पूरी होने में लगभग 5-6 महीने लग सकते हैं. अगर माल्या यहां भी केस हार जाते हैं तो फिर वो ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई पूरी होने में कई महीने या साल भी लग सकते हैं.''

सरोश आगे कहते हैं कि क्राउन प्रौसेक्यूशन सर्विस यानी कि ब्रिटेन का अभियोजन पक्ष सुप्रीम कोर्ट में जल्दी सुनवाई की अपील कर सकता है लेकिन ऐसी अपील स्वीकार किए जाने की संभावना बहुत ही कम है. अभियोजन पक्ष को इसके लिए कारण बताने होते हैं कि आप क्यों तत्काल सुनवाई चाहते हैं.

सरोश ज़ाईवाला के अनुसार कोर्ट ऑफ़ अपील में निचली अदालतों के फ़ैसले को पलट दिया जाना कोई असाधारण बात नहीं है और सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि कोर्ट ऑफ़ अपील माल्या की अपील में कितना दम पाती है.

हालांकि, माल्या के प्रत्यर्पण की कोशिश में लगी भारत सरकार ब्रिटेन सरकार के आदेश से उत्साहित है.

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने ट्विटर पर लिखा है, ''माल्या के प्रत्यर्पण के लिए मोदी सरकार ने एक और क़दम बढ़ा लिया है जबकि विपक्ष शारदा स्कैम में शामिल लोगों के लिए एकजुट है.''

अरूण जेटली भले ही इसे मोदी सरकार की बड़ी जीत होने का दावा करें लेकिन ब्रितानी क़ानून के जानकार ऐसा नहीं मानते.

ब्रिटेन में स्पेशल क्राइम और प्रत्यर्पण के पूर्व प्रमुख निक वामोस अब पीटर्स एंड पीटर्स नाम की एक लॉ फ़र्म चलाते हैं. इस मामले में निक वामोस का कहना है कि ब्रितानी गृहमंत्री के पास और कोई चारा था ही नहीं.

वामोस कहते हैं, ''जब एक बार निचली अदालत ने माल्या के प्रत्यर्पण का फ़ैसला सुना दिया था तो गृहमंत्री के पास इसकी मंज़री देने के अलावा और कोई विकल्प था ही नहीं, इसलिए ब्रितानी गृहमंत्रालय का ये फ़ैसला कोई चौकाने वाला नहीं है. पिछले साल ही माल्या ने कह दिया था कि वो अपील में जाएंगे. पूरी संभावना है कि उनकी अपील स्वीकार हो जाएगी क्योंकि उनके केस की सच्चाई और क़ानूनी पहलू काफ़ी पेचीदा है. इसमें कम से कम 2-3 महीने लगेंगे और इस दौरान वो बेल पर रहेंगे. हाईकोर्ट केस की दोबारा सुनवाई नहीं करेगी, वो केवल ये देखेगी कि निचली अदालत का फ़ैसला सही था या ग़लत.''

भारत सरकार ने मई 2016 में ब्रिटेन से कहा था कि माल्या को भारत प्रत्यर्पित कर दिया जाए. भारत सरकार ने उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया है.

तब ब्रिटिश सरकार ने कहा था कि माल्या के ब्रिटेन में रहने के लिए वैध पासपोर्ट होना ज़रूरी नहीं, लेकिन माल्या के ख़िलाफ़ गंभीर आरोप हैं, इसलिए उनके प्रत्यर्पण पर विचार किया जाएगा.

भारत और ब्रिटेन ने 1992 में प्रत्यर्पण संधि पर दस्तख़्त किए थे.

माल्या क्या कहते हैं
मार्च 2016 में भारत छोड़ चुके विजय माल्या इस बात से इनकार करते हैं कि वो भारत से 'भागे' हैं.

माल्या का कहना है कि बीते साल जुलाई में उन्होंने तमाम बक़ाया रक़म लौटाने के लिए 'बिना शर्त' पेशकश की थी.

माल्या ने ये दलील भी दी थी कि उन्होंने 'एक रुपये का भी क़र्ज़ नहीं लिया. क़र्ज़ किंगफ़िशर एयरलाइन्स ने लिया था. पैसे का नुक़सान एक वास्तविक और दुखद व्यापारी नाकामी की वजह से हुआ. गारंटर होना फ़र्जीवाड़ा नहीं है.'

बीते साल सितंबर में विजय माल्या ने लंदन में पत्रकारों से कहा था कि भारत छोड़ने के पहले उनकी अरुण जेटली से मुलाक़ात हुई थी. हालांकि, जेटली ने उनके दावे को ख़ारिज कर दिया था.

Monday, February 4, 2019

कोर्ट का वह आदेश जिसके आधार पर ममता की पुलिस ने CBI को दबोच लिया!

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में पुलिस कमिश्नर के घर सीबीआई टीम द्वारा रेड की कोशिश पर तकरार पैदा हो गया है. शारदा चिट फंड केस में पुलिस के खिलाफ सीबीआई एक्शन को मोदी सरकार की तानाशाही करार देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धरने पर बैठ गई हैं. इस बीच आजतक को कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश की जानकारी मिली है, जिसके आधार ममता बनर्जी सरकार, तृणमूल कांग्रेस और बंगाल पुलिस सीबीआई कार्रवाई का विरोध करने का दावा कर रही है.

हाई कोर्ट के इस आदेश में कहा गया है कि जो नोटिस जारी किए गए हैं, वो कानून सम्मत नहीं हैं. इसी आदेश के आधार पर टीएमसी कह रही है कि जिस तरह पुलिस अफसर कलकत्ता हाई कोर्ट में पहुंचे थे, सीबीआई अफसरों को भी पहले कोर्ट का रुख करना चाहिए थे. टीएमसी के इस दावे को कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी तफ्सील से समझाया है.

कांग्रेस नेता और वकील ने बताया क्या है आदेश

वरिष्ठ वकील और कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आजतक से खास बातचीत में सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता हाई कोर्ट का आदेश बताते हुए सीबीआई के एक्शन को गलत ठहराया है. उन्होंने बताया कि इस केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि अगर प्रदेश की पुलिस को सीबीआई की पूछताछ पर कोई आपत्ति है तो वह कलकत्ता हाई कोर्ट जा सकते हैं. सिंघवी ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद ही बंगाल पुलिस के अफसर कलकत्ता हाई कोर्ट पहुंचे, जहां से उन्हें आतंरिक सुरक्षा मिल गई.

अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि कलकत्ता हाई कोर्ट का यह आदेश अभी तक चल रहा है. सीबीआई की टीम कैसे राजीव कुमार के घर पहुंच गई, इस पर सफाई देते हुए सिंघवी ने कहा कि अगर सीबीआई टीम को ऐसा करना था तो पहले कलकत्ता हाई कोर्ट से स्पष्टीकरण या संशोधित आदेश लेना था. लेकिन सीबीआई ने ऐसा नहीं किया.

अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि सीबीआई का यह एक्शन न सिर्फ गलत है, बल्कि कोर्ट की अवमानना भी है. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि खुद राजीव कुमार इस मसले पर हाई कोर्ट नहीं पहुंचे थे, लेकिन उनके साथ काम करने वाले अफसरों ने हाई कोर्ट में अपील की थी. सिंघवी ने यह भी बताया कि राजीव कुमार कोई आरोपी या अभियुक्त नहीं हैं, उन्हें सिर्फ गवाह के तौर पर नोटिस गया है.

सीबीआई का दावा

सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने आजतक से बातचीत में बताया है कि इस केस में राज्य सरकार ने राजीव कुमार की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई जांच में पाया गया कि SIT ने कई सबूत जब्त किए थे, लेकिन ये सबूत सीबीआई टीम को नहीं दिए गए. उन्होंने दावा किया कि सीबीआई ने राजीव कुमार और पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी किया था, लेकिन किसी ने जांच में सहयोग नहीं किया. इसके बाद जब कोई रास्ता नहीं बचा तो सीबीआई ने पूछताछ की कार्रवाई शुरू की. हालांकि, टीएमसी सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि राजीव कुमार स्वयं सीबीआई को पत्र लिखकर पूछताछ के लिए कह चुके हैं.

वहीं, रविवार को जब यह घटनाक्रम हुआ तो उसके बाद बंगाल पुलिस ने बताया कि सीबीआई अफसरों ने एक गोपनीय अभियान पर होने की बात बताई और उनके पास संतोषजनक दस्तावेज नहीं थे. हालांकि, सीबीआई टीम कानून के दायरे में पूछताछ के लिए जाने का दावा कर रही है. बहरहाल, पुलिस और सीबीआई की यह जंग सियासी मोड़ लेते हुए अब सुप्रीम कोर्ट के दर तक पहुंच रही है.

Friday, February 1, 2019

मप्र से 12 को कुंभ के लिए रवाना होगी विशेष ट्रेनें, 3600 तीर्थ यात्री जाएंगे

मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत 12 फरवरी से प्रयागराज कुंभ मेला के लिए विशेष ट्रेन रवाना होगी। इसमें 3600 तीर्थ यात्री जाएंगे। हबीबगंज रेलवे स्टेशन से यात्रा शुरू होगी।

बुरहानपुर से 14 फरवरी, शिवपुरी से 22 फरवरी और परासिया से 24 फरवरी को कुंभ मेला के लिये विशेष ट्रेन रवाना होंगी। इनमें भोपाल, विदिशा, सागर, दमोह, बुरहानपुर, खंडवा, हरदा, जबलपुर, परासिया, शिवपुरी, अशोकनगर, गुना, इटारसी, कटनी, नरसिंहपुर के तीर्थ-यात्री शामिल होंगे। प्रत्येक ट्रेन में तीर्थ-यात्रियों की देख-रेख के लिये दस-दस सुरक्षाकर्मी साथ रहेंगे। यात्रा पांच दिन की होगी।

हबीबगंज से जाने वाली ट्रेन में भोपाल, विदिशा, सागर और दमोह के 900 तीर्थ-यात्री शामिल होंगे।
बुरहानपुर से रवाना हो रही ट्रेन में बुरहानपुर-खंडवा-हरदा-जबलपुर के 900 यात्री शामिल होंगे।
शिवपुरी-अशोकनगर-कटनी के 900 और परासिया से जाने वाली ट्रेन में परासिया-छिंदवाड़ा-बैतूल-इटारसी-होशंगाबाद-नरसिंहपुर के 900 तीर्थ-यात्री यात्रा में शामिल होंगे।

यात्रियों के लिये भोजन, चाय, नाश्ता, रूकने की व्यवस्था और तीर्थ-स्थल तक बसों से ले जाने और लाने के लिये गाइड की व्यवस्था रहेगी।

सवाल - मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से बेहतर कौन होगा? क्या निवेश का वातारण बनेगा?
जवाब : शायद आपको यह जानकारी नहीं होगी कि बाबा रामदेव का योग का पहला आयोजन मप्र में कमलनाथ जी ने ही करवाया था। मेरा तो उनसे संपर्क नहीं है, लेकिन बाबा रामदेव अच्छे से जानते हैं। शिवराज सिंह ने भी सहयोग किया, अभी भी उम्मीद है।

सवाल - क्या आपको लगता है कि बाबा रामदेव को भी भारत-रत्न दिया जाना चाहिए? 
जवाब : आयुर्वेद को आगे बढ़ाने में उनका योगदान किसी से छिपा नहीं है। देश को उन्होंने गौरव दिलाया। उनके व्यक्तित्व की गहराई को मैं ज्यादा समझता हूं। खाते-पीते, सोते-जागते वे देश के बारे में सोचते हैं। उन्होंने जीवन लगा दिया। उनको यह सम्मान देते हैं तो देश का गौरव ही बढ़ेगा। 

सवाल - क्या मप्र में और निवेश करेंगे, इंदौर की इकाई से उत्पादन कब तक होगा? 
जवाब : इंदौर में एक हजार टन गेहूं की प्रोसेसिंग होने जा रही है जो वृहद है। नागपुर में संतरे की प्रोसेसिंग इकाई लगी है। शाजापुर का बी व सी ग्रेड का पूरा संतरा नागपुर ले जाएंगे। जहां तक नए निवेश की बात है तो कच्चे माल की उपलब्धता का सर्वे करा रहे हैं। जल्द ही आगे निर्णय लेंगे।